शायरी को जानने वालों में से शायद ही कुछ ऐसे लोग होंगे जो मिर्जा गालिब साहब को नहीं जानते हैं|, उनका शायरी से काफी पुराना रिश्ता रहा है, जहां भी शायरी का जिक्र आता है वहां पर अगर सबसे पहला कोई नाम आता है तो वह है साहब मिर्जा गालिब|.
मिर्जा गालिब साहब का जन्म आगरा में 27 दिसंबर 1797 में हुआ था | मिर्जा गालिब जी का पूरा नाम मिर्जा असद उल्लाह बैग का उर्फ ग़ालिब था | आज हम हमारी इस पोस्ट में,मिर्जा गालिब साहब की कुछ चुनिंदा और बहुत ही प्रसिद्ध शायरियां आपके साथ साझा करेंगे हमारी यह पोस्ट कैसी लगी हमें जरूर बताइएगा| |मिर्जा गालिब यह एक येसा नाम है जो शायद हर चाहने वाले के दिल पर आज भी उसी प्यार से राज करता है, जिस तरह उनके जमाने में किया करता था | | एक बार जरूर पढियेगा मिर्जा गालिब साहब की कुछ बेहतरीन शायरियां जो आपका दिल छू लेगी |वह कहते हैं ना मौसकी की कोई सरहद नहीं होती | इसी तरह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी मिर्जा गालिब को बहुत से लोग आज भी उतना ही प्यार करते हैं |
13 साल की उम्र नवाब इलाही बख्श की बेटी उमराव बेगम से इनकी शादी हो गई थी गालिब ने कई जगह काम किया है | दिल्ली जयपुर लेकिन उसके बाद वह आगरा वापस आ गए और वही रहने लगे जहां उनका घर था ग़ालिब साहब वफात (निधन) 15 फरवरी १८६९ को हुआ था|
उन्होंने शायरी में अपना नाम आज फिर जिंदा रखा है | उनकी शायरियां आज भी दिलों को उसी तरह छू जाती है, जिस तरह पहले थी | तो एक बार जरूर पढ़िए गा हमारी एक छोटी सी कोशिश मिर्जा गालिब साहब को याद करने की और अगर यह शायरियां आपको पसंद आए तो अपने खास लोगों के साथ इसे शेयर जरूर करिएगा धन्यवाद
स्त्रोत – Wikipedia
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Prafull says
बोहोत अच्छा जी 😍